भारत की समृद्ध और गौरवशाली विरासत से संबंधित यह संस्कृत भाषा आज भी प्रासंगिक है इसे देव भाषा कहा जाता है क्योंकि यह हमारे प्राचीन विचारकों के ज्ञान को समझने का प्रमुख माध्यम बनी हुई है। प्राचीन संस्कृतियों के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मूल्यों के साथ अपने छात्रों को परिचित कराने के अलावा, यह विषय उन्हें प्राचीन भारतीय इतिहास, भाषाविज्ञान, पुरातत्व, आदि की सराहना करने में सक्षम बनाता है अन्य भाषा का ज्ञान प्राप्त करके छात्र धन तो कमा सकता है किंतु संस्कारों का जो उदय इस भाषा के ज्ञान से होता है वह अन्यत्र दुर्लभ है। इसके अलावा शिक्षण, अनुवाद, सिविल सेवाओं में रोजगार पाना आदि भी प्रमुख है। संकाय में व्याकरण, दर्शन, वास्तु और वैदिक अध्ययन में विशेषज्ञता के साथ समर्पित और अनुभवी शिक्षक शामिल हैं।