
ॐ असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥
संस्कृत विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है | यह भारतीय ज्ञान परंपरा समझने में सबसे अधिक सहायक भाषा
है | हमारे वेद उपनिषद् ब्राह्मण आरण्यक सब की भाषा संस्कृत ही है | भारत विविधताओँ का देश है, पर
आप उत्तर से दक्षिण तक चले जाइए सब जगह मंदिरों में पूजा संस्कृत भाषा में ही होती है | संस्कृत भाषा
सबसे समृद्धशाली भाषा है | “ विज्ञानशास्त्र “तक की रचना संस्कृत भाषा की निहित है | आज संपूर्ण विश्व
का रुझान संस्कृत के प्रति बढ़ा हुआ है | अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में गुरुकुल परंपरा से छात्रों को
संस्कृत की शिक्षा दी जा रही है | यदि आज हम संस्कृत पढ़ते हैं तो हमारे मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक है
कि हमें आगे क्या करेंगे हमारा जीवीकोपार्जन कैसे होगा ? इत्यादि प्रश्न रखना स्वाभाविक है हम कुछ
बिंदुओं में इसके लाभ को समझ सकते हैं –
(1) यू. पी. एस. सी. (सिविल सर्विसेज) में संस्कृत का पाठ्यक्रम बहुत ही अच्छा है आज छात्र संस्कृत
विषय में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर सफलता प्राप्त कर रहे हैं |
(2) भारतीय सेना में भी आप संस्कृत विषय पढ़ कर अपनी सेवाएं “धर्म गुरु” के रूप में दे सकते हैं |
(3) संस्कृत के अध्यापक के रूप में आप विद्यालय महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दे
सकते हैं |
(4) संस्कृत के अंतर्गत ज्योतिष एवं वास्तु विद्या का भी समायोजन है अतः इस विषय का अध्ययन कर
आप एक अच्छे ज्योतिष और वास्तुशास्त्री भी बन सकते हैं |
(5) संस्कृत का अध्ययन कर आप एक अनुवादक का भी कार्य कर सकते हैं संस्कृत ग्रंथों, शास्त्रों और
श्लोकों का हिंदी, अंग्रेजी और आदि भाषाओं में अनुवाद कार्य किया जा सकता हैं |
(6) संस्कृत में एम. ए., पी. एच. डी. पर शोधकर्ता या रिसर्च स्कॉलर बन सकते हैं |
(7) संस्कृत समाचार पत्रों, पत्रिकाओं या ऑल इंडिया रेडियो में अवसर हैं |
(8) संस्कृत कविता, श्लोकों, ग्रंथों पर यूट्यूब चैनल, ब्लॉग, ई-बुक आदि तैयार करना |
(9) संस्कृत मंत्रालय, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, संस्कृत बोर्ड जैसे संस्थानों में अवसर |